नापाक
नापाक
पाक तो है बस नाम का तू
पर नापाक तेरे इरादे हैं,
गुस्ताख न बन हद में रह अपनी
समझ ले, शब्द ये सीधे-सादे हैं।
गद्दार रहे हैं शासक तेरे
गद्दारी, हरदम तेरे खूँन में,
इतिहास तेरी गद्दार फौज का जो
रहती तख्ता पलट के जुनून में।
एक आग दिलों की बुझती नहीं
तू चिंगारी दूसरी छोड़े है,
हमको उकसाता बार-बार क्यों
और संघर्ष विराम भी तोड़े है।
कभी जमाए जड़ें कार्गिल
कभी पुँछ, पुलवामा आता है,
मुँह की खाकर भी बार-बार
तू सबक सीख नहीं पाता है।
विनम्र रहो शालीन बनो
हमें यही सिखाया जाता है, ,
न समझ इसे कमजोरी तू
वर्ना हमें सिखाना आता है।
शालीन सभ्यता भारत की
शालीन यहां की फौज है,
भड़काने का काम न करे
तू, तभी तक तेरी मौज है।
बहुत बड़ी कोई बात न होगी
जब ऐसा दिन भी आएगा,
गुबार बना जो बैठा दिलों में
फूट के तुझपे कहर बरपाऐगा।
जमीं-ए-हिंद में घुसकर तूने
सर कलम किए जांबाजों के,
बदले जब गिन-गिन के लेंगे
निशां भी न तू पाऐगा
तेरे तख्त-व-ताजों के।
