नादानी भरी बातें
नादानी भरी बातें
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दी मां ने मुझको सीख
बेटा तुझसे मेरी दुनिया ,
तुझको रहना है संग मेरे
घर जायेगी अपने मुनिया।
मुझको अच्छा खाना - पीना
मुझको हीं अच्छा पढ़ना,
मुनिया से नाता कुछ दिन का
छोडू उससे यूं लड़ना।
मैं जान गया हूं ये अंतर
लड़का-लड़की में कैसा है,
हूं जन्म से मैं उनसे बेहतर
समाज में ये सोच बसा है।
मां भी कमजोर पिता से है
स्वीकार सदा करती है,
फिर मुझमें भी पुरुष के गुण
मुनिया भी तो डरती है।
ये कहना था उस लड़के का
जो मन से था निश्छल,
पर सुन के उसकी ये बातें
बेचैन मन में थी हलचल।
