न कर सकी तू वफ़ा
न कर सकी तू वफ़ा
न कर सकी तू वफ़ा ऐ सनम
मुझे तुझसे कोई गिला भी नहीं
न कर सकी तू वफ़ा ....
चाह क्या थी तेरी ऐ हमदम
कभी जुस्तजू तो की होती
हम तो थे राहो में खड़े हरदम
कोशिशें ढूंढने की की होती
न कर सकी तू वफ़ा ....
ख्वाहिशें जो भी थी मेरे दिल में
जो भी थी कहती थी मेरी आँखे
जी रही थी लेकर दर्द सीने में
मुझसे क्यों कह न सकीं तेरी आँखे
न कर सकी तू वफ़ा .....
अब जो तू सामने नहीं है सनम
दिल यु मायूस हो जाता है
चाह ये है तुम मिलो अगले जन्म
बिन तुम्हारे जिया न जाता है
न कर सकी तू वफ़ा ऐ सनम
मुझे तुझसे कोई गिला भी नहीं
न कर सकी तू वफ़ा .....