Sandeep kumar Tiwari
Others
जिस तरह आंसूओं के
विष को पी रहा हूँ मैं
क्या तुम्हें अब भी यकीं है
कि जी रहा हूँ मैं
दुनिया के सारे रफ्फूगरों,
थू है तुम पर!
खुद के ज़ख़्मों को
खुद ही सी रहा हूँ मैं
रात भर नहीं स...
भूल न जाना आन...
ग़ज़ल
शबनम