सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'
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आग उगलती कुछ दीवारें, शायद कोई कोना भी
हो जाता जो, कम दिखता है, दिख जाता जो होना भी
कुछ दिन बक-बक की खामोशी, बक्से सब यदि शांत रहे
शांत रहेगा देश हमारा, जग का कोना-कोना भी।
जग भारत का यश...
शब्द बाण
नफरत न बढ़ा
जेबें भरने की...
दोहे
मुक्तक
दोहा