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सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'

Others

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सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'

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मुक्तक

मुक्तक

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आग उगलती कुछ दीवारें, शायद कोई कोना भी

हो जाता जो, कम दिखता है, दिख जाता जो होना भी

कुछ दिन बक-बक की खामोशी, बक्से सब यदि शांत रहे

शांत रहेगा देश हमारा, जग का कोना-कोना भी।



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