जग भारत का यशगान करे
जग भारत का यशगान करे
हे जग अभियंता, सृजनहार,
हे कृपासिंधु, हे गुणागार
हे परब्रह्म, हे पुण्य प्रकाश
हो पूरित तुम से, सही आस
हर छोटे-से छोटा जो कण,
या विश्व सकल विस्तार अनंत
तुम्हीं में समाहित सब कुछ है,
आदि तुम्हीं से, तुम से है अंत
हे ज्ञान-दीप, हे अविनाशी
हर ब्रह्मांड के अधिशासी
हे निराकार, हे ज्योति पुंज
हे ईश्वर, घट-घट के वासी
सब शब्दों की तुम ही शक्ति
हर साधक की तुम हो भक्ति
यूँ कृपा करो हे कृपानिधान,
हर जन, जन का सम्मान करे
यूँ कर्म करें भारत वासी,
जग भारत का यशगान करे,
शिक्षा पहुँचे हर बच्चे तक,
न कोई ज्ञान से खाली हो
पोषण पूरा मिलता जिससे,
भोजन वाली हर थाली हो
हर तन को कपड़ा मिले सही
वह ठंड धूप से बचा रहे,
हर सिर पर छत का साया हो,
बस ऐसी नेक बयार बहे
इंसा में इंसानी गुण हो,
वह ऐसा एक विधान धरे
यूँ कर्म करें भारतवासी
जग भारत का यशगान करे।
ममता का आँचल साफ़ रहे
साये की जिम्मेदारी हो
घर-बाहर सुरक्षित हो बिटिया
यूँ हर बेटा संस्कारी हो
हर सुबह-शाम औ रात-दिवस
न कभी इज्जत पर भारी हो
क्यों पड़े जरूरत तालों की
न चोरी कोई चकारी हो
कमज़ोरों पर कोई धक्का
यहां न कोई बलवान करे
यूँ कर्म करें भारत वासी
जग भारत यशगान करे।
दुनिया के हर इक कोने में
अपना परचम लहरायें हम
पहले ज्ञान दिया था हमने
फिर अपनी धूम मचाएं हम
सब के सुख की करें कामना,
खुद मर्यादा को मत छोड़ें,
जिनकी नज़र बुरी भारत पर,
उन सबकी हम आँखें फोड़ें
हर सन्तान देश की, दाता,
इस ख़ातिर खुद को दान करे,
यूँ कर्म करें भारत वासी
जग भारत का यशगान करे।
