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Vikas Sharma

Others

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Vikas Sharma

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मुक्तक सृजन

मुक्तक सृजन

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तू सुख दे -दौलत दे -तो ना के बराबर शुक्राना

तू दुःख दे- तो खोल देते हैं शिकवा शिकायत का खजाना

क्यों नहीं समझते की ये दुःख नहीं- कर्मफल है

जैसे बोओगे वही तो काटोगे 

लगाओगे बीज काँटों के तो -फूल कहाँ से पाओगे 

क्यों नहीं समझते की ये कांटे नहीं- कर्मफल हैं .....!



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