मुझे ऐसी लापरवाही चाहिए
मुझे ऐसी लापरवाही चाहिए
भरोसे की जरूरत नहीं है मुझे
मुझे अब यकीन चाहिए
सूरज दूर बहुत दूर है
मुझे थोड़ी सी जमीं चाहिए
कैद हो गई है साँसे पिंजरे में
इन्हे भी अब रिहाई चाहिए
बहुत सह ली ये जेठ की लू
अब तो ठंडी पुरवाई चाहिए
बंद कर लो अपना दरवाजा
मुझे तेरी हँसी नहीं चाहिए
मेरी याद में जो झलके अश्क
मुझे तो बो अश्क चाहिए
करूँगा क्या इस बिस्तर का
नींद भी तो आनी चाहिए
कब से भटक रहा हूँ में
मुझे तेरी रहनुमाई चाहिए
बहुत सह लिए ये दुःख दर्द
अब इनपे मरहम चाहिए
भूल जाऊं में दुनिया जहां को
मुझे अब ऐसी लापरवाही चाहिए
