मुहब्बत
मुहब्बत
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
1 min
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
301
मुहब्बत ना हुई
पंसारी की दुकान हो गयी
कहीं तुलती कम हैं
कहीं बिकती ज्यादा है
हिसाब लगाकर न करना
मुहब्बत
कांटों के ताज पर सजती है
मुहब्बत
आँसुओं के शबनम से खिलती
मुहब्बत
गर न प्यारी हो जान तो कर
लो मुहब्बत
टूटा जो सितारा आसमान से
मन्नत किसी की पूरी हुई
गिरते हुए तारे को देखकर
आँख किसी की नम हुई
कहो इरशाद आने वाले
लम्हो को
नटखट पल शैतान हो जाते
है देखते देखते
बरसात का अमृत धारा है यह
गुम हो जाती हैं धरती में देखते
देखते