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Neetu Lahoty

Others

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Neetu Lahoty

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मनमर्ज़ियाँ मेरी

मनमर्ज़ियाँ मेरी

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जो सुकून मिल रहा है मुझे

जज्बातों में बहने से.. 

  तो उसमें बुरा क्या है ?

लोग तो हिमालय तक 

       चले जाते हैं... 

उसे पाने के लिये.. 

  जो कर लेती हूँ.... 

मैं खुद की परवाह

    तो इसमें 

सब ख़फ़ा क्यों है 

ज़िंदगी मेरी.. 

   मनमर्ज़ियाँ मेरी... 


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