मन
मन
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एक शाम, यूं ही मायूस बैठी थी
क्या होगा जिंदगी का।
तभी ख्याल आया, सहसा,
क्यूं करूं इंतजार, मैं किस्मत का।
आखिर भगवान ने, जो हमको बनाया,
कुछ तो, उन्होंने भी दिमाग लगाया।
एक सुसज्जित शरीर, हमको जो दिया,
क्यूं न उसका सही इस्तेमाल किया जाए।
पूरा मन अब से, हमने काम लगा दिया
अब भाग्य को न और कोसा जाए।।