संध्या काल
संध्या काल
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संध्या काल का सूरज,
अंबर पर, लाली फैलाता है।
आसमान का वो, नज़ारा,
मन हर्षित कर जाता है।
एक सुकून सा रहता है,
सूरज की रोशनी में।
दिन भर काम करके जैसे,
शाम को, मन हर्षाता खाली में।।