Shalini Kumari
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संध्या काल का सूरज,
अंबर पर, लाली फैलाता है।
आसमान का वो, नज़ारा,
मन हर्षित कर जाता है।
एक सुकून सा रहता है,
सूरज की रोशनी में।
दिन भर काम करके जैसे,
शाम को, मन हर्षाता खाली में।।
फिर आई
संध्या काल
मेरे दिल की..
मिलती मुझे हा...
गुलाबी
हरा फिर से
नारंगी
ग्रे
हरा
पीला