STORYMIRROR

Shalini Kumari

Others

3  

Shalini Kumari

Others

हरा फिर से

हरा फिर से

1 min
198

प्रकृति का रूप,

माता में समाया है।

हर कण कण में बसी,

माता की ही छाया है।

उनके इस रूप के दर्शन,

हम हर दिन करते हैं।

नवरात्रि में तो बस हम,

उनका ही सुमिरन करते हैं।।


Rate this content
Log in