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Brajendranath Mishra

Others

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Brajendranath Mishra

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मन मेघों संग आवारा बन गया

मन मेघों संग आवारा बन गया

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आई बरखा बहार, बरसे रिमझिम फुहार,

मन झूमा, मेघों संग आवारा बन गया।


मिट्टी थी गर्म, बूँदें बरसी जब उस पर,

सोंधी धरती हुई, खुशबू फ़ैली घर - घर।

बादल छाये पहाड़ों पर, बरसा प्रेम अपार।

आई बरखा बहार, बरसे रिमझिम फुहार।

तन पुलकित, पहाड़ों संग न्यारा बन गया।

मन झूमा, मेघों संग आवारा बन गया।

पत्तों पर बूँदें पड़ती हुई, सरकती सर - सर,

फूलों का पराग झरता रहता झर - झर।

वृक्ष नहाकर हुए ताज़ा, छाया हरित - संसार।

आई बरखा बहार, बरसे रिमझिम फुहार।

रोम उल्लसित, बूंदों संग सहारा बन गया।

मन झूमा, मेघों संग आवारा बन गया।


वर्षा का पानी, बह चला, बही सरिता निर्झर।

कूपों, तालाबों को, पूरित करता, भर - भर।

पथ धूल को धोता, निर्मल, रहित - विकार।

आई बरखा बहार, बरसे रिमझिम फुहार।

हृदय प्लावित, सरिता संग धारा बन गया।

मन झूमा, मेघों संग आवारा बन गया।


पर्वत शिखर पर, मेघ नाद पर, नृत्य निरंतर,

नदियों का जल श्रोत बना, अधः गमन कर।

दौड़ी जाती सागर संग, करने को अभिसार।

आई बरखा बहार, बरसे रिमझिम फुहार।

अंतर उल्लसित, तटिनी संग किनारा बन गया।

मन झूमा, मेघों संग आवारा बन गया।


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