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Annapurna Mishra

Others

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Annapurna Mishra

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मकर संक्रान्ति

मकर संक्रान्ति

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ये पतंगों की सरसराहट

ये सूर्य का तेज

ये फूलों का मस्ती में झूमना

तितलियों का उन संग खेलना,

ये मौसम का चमकना

चिड़ियों का चहकना

ये बसंत की आहट

कुछ नए होने की चाहत

है ये प्रकृति की क्रान्ति

आज है संक्रान्ति।


आज ये सूर्य का उदय है

पुराना सब जलाने को,

आज ये ठंड सी बहती हवा है

पुराना सब उड़ाने को,

आज ये नदी की लहर है

पुराना सब बहाने को।


आज है गंगा का स्नान

फिर नया हो जाने का,

है आज सत्य संग क्रान्ति

आज है ग्रहों- नक्षत्रों की शांति,

आज है संतो की धर्म क्रान्ति

आज है मकर संक्रान्ति।



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