मीठी छुअन
मीठी छुअन
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हवा है
तू जब
सर सरा के
पास से मेरे
गुजर जाती है,
छू के मुझे
मेरे दिल को
क्यूं तड़पाती है,
सताती है
मुझे
अक्सर,
तू करके ख्वाबों में
लुका छिपी.....!
फिर खिलखिला के
खुद में ही
छुईमुई सी
सिमट जाती है,
हंस पड़ती है
जब भी देखूं तुझे......!
तेरी शरारतें
मुझे अक्सर
गुदगुदाती है,
कभी नज़रे मिलाती है
कभी नज़रे चुराती है,
मुझको
तेरी ये
मीठी छुअन
अकसर
यादों में
आकर
तड़पाती है...!
