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Dhirendra Panchal

Others

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Dhirendra Panchal

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महँगाई

महँगाई

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अइसे ना उकेरीं हाई जिनिगी के खोल के।।

ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के।

ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के।


महँगा अनाज भइल खरी तेल खार में,

नन्हका का खाई खइहें गोरुआ उधार में,

पियल जाई सतुआ का मोबिल में घोल के।

ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के।

ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के।


दवा बिनु होत नइखे दुआ कुबूल हो,

डकटर झटक देता बोले जुलूल हो,

केहू नइखे बुझे वाला जिनिगी के मोल के।

ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के।

ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के।


घीव भात खाला केहू जिये उपास में,

केहू बतलावे खूब प्रोटीन बा मास में,

संसद में बईठ केहू आँकेला झोल के।

ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के।

ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के।


केहू चनरमा के भुइयां उतारेला,

मंगल पर जीवन ह जंगल के जारेला,

हमनी पे बात दिल कइला ना खोल के।

ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के।

ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के।



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