मगर लौट के वो घर ही आते है
मगर लौट के वो घर ही आते है
रोया अपने देश में
रोया सारा आलम
रोये रिश्तेदार
रोया परदेस में
तो रोयी तनहाई
रोयी सूनी सूनी दीवारें
रोया खाली खाली घर
माँ हमेशा सिखाती है
सुख बांटने से बढ़ता है
दुख बांटने से कम
पर यहाँ परदेस में
दुख बांटने के लिए है खाली खाली घर
सुनने के लिए है यह दीवारें
दिल के नाम पर है यह मुलायम मुलायम यह तकिए
जिसे कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता दिल टूटने का
यह परदेस जो दिखता है सुनहरा
पर अपना देश तो अपना ही होता है
अपने कैसे भी हो
अपने होते है
रूठे कितना भी
मगर लौट के वो घर ही आते है।