मेरी कलम राग गाती
मेरी कलम राग गाती
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मेरी कलम कागज पर राग गाती,
दिल से लिख कोई पैगाम सुनाती ,
इसमें जीवन के राग उन्माद भरे हैं,
मेरे संग लिखती कभी गुनगुनाती,
बीते हुए पलों को जब याद करता ,
हर- पल में वह मेरा साथ निभाती,
कागज से उसकी दोस्ती है पुरानी,
उसके संग चलकर वह मुस्कुराती,
चलती है वह जब कोरे कागजों पर,
जीवन को एक नई दिशा दिखाती,
बिखरे बिखरे से शब्दों को समेटकर,
छंदों को शब्दों को माला में पिरोती,
मेरी कलम कागज पर एक राग गाती I
