मेरी बहना....
मेरी बहना....
जुड़ी है मुझसे इस क़दर,
की दूरी भी दूर ना कर पाए...
याद करे कोई कभी उसे,
तो हिचकी फिर मुझे सताए...
ज़िक्र हो कभी किसी एक का,
तो बात दूसरे की छिड़ जाए...
ये जोड़ी है इतनी जोरदार की,
याद भी सबको जोड़ी में आए...
राज़ भी नाराज़ हो जाए,
जान ले ये सब बिन बताए...
चुगलखोर है ये राज़ मेरे,
पेट में अपने ना पचा पाए...
डाले मुसीबत में पहले,
फ़िर आकर मुझे बचाए...
तारीफ़ करू क्या इनकी,
तारीफ़ भी अब इनसे शर्माए...
पसंद हो जो किसी एक को,
दूजे को वो ना भाए...
ऐसी जोड़ी भगवान भी,
बड़ी फुर्सत में कभी बनाए...
रूप दे किसी एक को,
तो दूजे तो दिमाग मिल जाए...
दूर रहे तो याद करते रहे,
पास आए तो झगड़े बढ़ जाए...
जुड़ी रहे मुझसे इसी क़दर,
की कभी अलग ना हो पाए...
ज़रूरत पड़े कभी किसी को,
तो दूसरा पल में खड़ा हो जाए...
याद कर के पुरानी यादों को,
याद नई हर दिन हम बनाए...
जल्दी मिले फुर्सत ज़िंदगी से,
ताकि फ़िर से सब साथ हो पाए...
