मेरे प्रिय मित्र
मेरे प्रिय मित्र
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कितना छोटा है यह जीवन,
उसमे है कितने सारे बंधन,
दोस्तों का स्नेह है एक ईंधन,
प्रिय मित्र लेता है न्यारा स्थान
अपने भिन्न अभिन्न बातें सुनने
की रखते हैं क्षमता,
प्रति समस्या का समाधान देने
की रखते हैं दक्षता,
कष्ट नष्ट समय में सर्व प्रथम
देते हैं वीरता धीरता,
सुख दुःख अनुभव के आदान
प्रदान को देते हैं पूर्णता
प्रिय मित्र दे सकते हैं अपने
अमूल्य स्निग्ध क्षण,
मन सदा आशा आश्वासन पाए
करके सम्भाषण,
पार्थ सारथी बनकर जो दे
सकते हैं कई सुलक्षण,
ऐसे प्रिय पात्र सर्वदा होते हैं
विचक्षण विलक्षण
दोस्त हैं अपना ही प्रतिबिम्ब
प्रतिरूप,
ये अनन्य अनुबंध हैं अत्यंत
अपरूप,
अपने बचपन दिनों के हैं
सौम्य स्वरूप,
पुराने होते होते अति प्रिय हो
जाये यह रूप