मेरा परिचय
मेरा परिचय
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शब्दों की दुनिया में बसती हूँ
जो हृदय कहे वही लिखती हूँ
पता क्या बताएं, गुमनाम हूँ
किया ही क्या है
जो अपने बारे में कुछ कहूँ ?
अभी सिखना बहुत बाकी है
तृष्णा शेष है,
सकल संसार मेरा साकी है
पहचान मुझे न मिले,
तो ना सही
शब्द मेरे अमर हो जाए,
बस आस यही
किंचित अनुभवों का संचय,
तन सवि, मन कवि,
बस, यही मेरा परिचय !!