मेरा गाँव
मेरा गाँव


सूना दिल मेरा,
तब आबाद हो गया।
गाँव से मेरे जब,
कोई संदेश आ गया ।
करते थे बहुत याद,
जिनको हम हरदम ।
यादों को उनकी,
कोई सहला गया ।
थे कुछ अजीज़ मेरे,
नदिया पार के ।
यादों में उनकी,
कोई नहला गया।
यारों का इश्क में,
रूठना मनाना ।
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यादों में उनकी ,
कोई भिगो गया ।
हाथ फेरना काकी का,
सिर पर मेरे ।
दिला कर याद,
कोई ममत्व दे गया।
दिन वो बचपन के,
खूबसूरत थे मेरे ।
दिला कर याद कोई,
दर्द में डूबो गया ।
निशा फिर चाँद,
निकला है छत पर मेरे।
आज फिर गाँव से मेरे,
कोई आ गया ।