मेरा भारत
मेरा भारत
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अपना भारत श्रेष्ठ भारत
हो विलक्षण ख्याति में ,
सब रहें समभाव से,
कोई द्वेष ना हो जाति में ।
उत्तर से दक्षिण और ,
पश्चिम -पूर्व से हम जोड़ दें ,
हिममुकुट के चरणों में ,
सागर सुरीला छोड़ दें।
हों अलग मत-बात लेकिन ,
मन हमारे एक हों,
निश्छल सरल हों सब यहाँ ,
सब सुहृदय सब नेक हों ।
कश्मीर से कन्याकुमारी ,
ईटानगर गुजरात में ,
हम न देखें भिन्न इनको
भारत दिखे हर बात में ।
सब चलें आगे बढ़ें ,
कोई छूट न जाए कभी ,
कमजोर को भी साथ लें,
छूं लें शिखर संग में सभी ।
