मातृभूमि
मातृभूमि
अहा मातृभूमि ! मेरी मातृभूमि!
तुम कितनी सुन्दर हो!
सूरज का तेज़ बसा मुख पर
स्वर्णिम रश्मि की छाया है
चंदा की बिंदिया माथे पर
मलय पवन की काया है
अहा मातृभूमि ...
तीन रंग परिधान तेरा है
गंगा - यमुना का आंचल
हिमगिरी तेरा भाल मुकुट है
विश्व को बहुत लुभाया है
अहा मातृभूमि ...
हरे - भरे यह खेत तेरे हैं
फल-फूलों युक्त है वन-उपवन
अपने उर में किये समाहित
खनिज सम्पदा के भंडारण
अहा मातृभूमि ..
तेरी आन की ख़ातिर जो
अंतिम क्षण तक संधर्ष किये
ऐसे वीर सपूतों ने तेरा
सिर न कभी झुकाया है
अहा मातृभूमि ...
शौर्य पराक्रम कर्मठता से
लोहा लेते दुश्मन से जो
जल थल नभ में उन वीरों ने
राष्ट्र ध्वज लहराया है
अहा मातृभूमि ! मेरी मातृभूमि!
तुम कितनी सुन्दर हो!