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Dr J P Baghel

Others

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Dr J P Baghel

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माताएं

माताएं

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चलें गर्व के साथ गीत हम उस संस्कृति के गाएं ।

जहाँ जन्मना एक, अजन्मा हैं अनेक माताएं ।।1।।

 

जन्मदायिनी एक, और जो बाकी हैं सौतेली ?

सौत चून की भी न ठीक होती है किसे बताएं ।।2।।

 

माँ वह भी हैं यहाँ, त्याग देतीं जो जन्मे शिशु को ।

एक मेनका, एक उर्वशी, कुन्ती-सी महिलाएं ।।3।।

 

जीवन दिया, स्नेह दे पाला, वही श्रेयसी सबसे ।

जो ममता का सिन्धु लुटाती, लेती रही बलाएं ।।4।।

 

मान लिया मेषों को माँ जब पहले सभ्य-पुरुष ने ।

दूध केश तन की बलि देकर देतीं मेष दुआएं ।।5।।

 

जबसे उनके वत्स हलों में मानव ने जोते हैं ।

माँ जितना सम्मान पा रही हैं भारत में गायें ।।6।।

 

जीवन की आधार, अन्न की, फल की जो जननी है ।

क्या अचरज, भूपति यदि भू को धरती माँ बतलाएं ।।7।।

 

गोदावरी, नर्मदा, यमुना, गंगा, और अनेकों ।

माँ जैसी ही मानवती हैं नदियों की धाराएं ।।8।।

 

नौ-नौ मातृदेवियाँ भी हैं, काली, गौरी माँ हैं ।

लक्ष्मी सरस्वती से धन विद्या की हैं आशाएं ।।9।।

 

संतोषी माँ एक, शीतला जहाँ एक माता हो ।

चेचक, मरी महामारी तक भी माता कहलाएं ।।10।।

 

माँ पर भारी उपमाओं के, नमन और वन्दन हैं ।

कौन वास्तविक माँ के मन की वर्णन करे व्यथाएं ।।11।।


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