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माँ

माँ

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कोई ख्वाहिश तो कभी नहीं की,

पर अहसास का हिस्सा मुझमें भी है,

कोई नही होता साथ मेरे कभी पर,

माँ के आशीष का हाथ मुझपे भी है।


बोझिलता मन की बहुत होती,

व्याकुलता भी मन खंडित करती,

पर एक आसरा कभी ना मिटता,

जब माँ का हाथ मेरे सर पर होता।


वो तिनके तिनके में मेरी खुशी ढूंढती,

हमारी खुशियों में हमेशा मुस्कुराती है,

वो और कौन हो सकता इस दुनिया में,

जगत में लानी वाली वो माँ कहलाती है।


एक ही विनती करती हूं सदा,

नेह बंधन की डोर मजबूत हो,

कभी ना हम माँ से दूर हो,

कभी माँ ना हमसे दूर हो।


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