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Vijay Kumar parashar "साखी"

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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माँ

माँ

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दुनिया में सबका कोई न कोई मोल मिला है 

पर साखी मां का प्यार अनमोल ही मिला है


मां तू हमे आंखों से दिख जानेवाली ख़ुदा है

तेरे बिना कभी कोई फूल कहाँ खिला है


एक हम है, शादी बाद अक्सर ये बोलते है

मां तुझसे मुझे जिंदगी में क्या मिला है


ज़रा उन्हें जाकर पूंछो जिनके माँ नही है

हर पल रोते है वो जिनके ये खुदा नही है


वो कोहिनूर हीरा भी हमारे किस काम का,

माँ की रोशनी का सहारा जिसे नही मिला है


मां के बिना, कोई क्या जग में कामयाब हुआ है

हर कामयाबी के पीछे का वो अटूट किला है


यकीं न आये ज़रा याद कर लो शिवाजी को

मां ने ही बनाया था उन्हें छत्रपति का टीला है


पूत कपूत सुने, न कपूत सुनी कभी माता,

माँ तो परोपकारी की एक अद्भुत विला है


गर साखी तुझे ख़ुदा को पाना है

मां का दिल तुझे कभी न दुखाना है


मां के चरणों मे ही तेरी जन्नत है,

मां से ही तुझे ये शौहरत, नाम मिला है...


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