&&&& माँ &&&&
&&&& माँ &&&&
1 min
113
मैंने बचपन से तुम्हें माँ जो पुकारा होगा
तेरे आँचल पे सिर्फ हक तो हमारा होगा।
जो बिना बात के आँसू मैं बहाती होगी
हाँ मेरी माँ को मेरा आँसू भी प्यारा होगा।
मुझे लौटा दो कोई फिर से वो बचपन मेरा
जब मैं थी चाँद कोई आँख का तारा होगा।
ना शरारत न भोलापन न शोखियाँ कम थी
माँ ने डाँटा न कभी मुझे न तो मारा होगा।
बात बचपन की "नीतू" यादों में रह जाती हैं
अब मेरी माँ को मेरा ही तो सहारा होगा।