माँ
माँ
करता हूँ मैं शब्द रूपी सुमन
माँ के पावन चरणों में अर्पण,
ममता की जो है साक्षात दर्पण
माँ तुझको मेरा सत् सत् नमन।
निज गर्भ में नौ मास दिया निवास
माँ तुझ से ही है इस 'रवि' में प्रकाश,
माँ तुझ पर न्योछावर हर एक सांस
माँ तू ही तो है मेरे सबसे पास।
माँ तेरी पूजा करूँ या करूँ मैं वंदन
माँ तेरे त्याग को है मेरा अभिनंदन,
माँ तुझको देख पुलकित होता है मन
माँ अतुलित अनोखा है तेरा समर्पण।
निज तन के रुधिर से सींच सींच
विपदा में लक्ष्मण रेखा खींच खींच,
माँ तेरी दुआओं का है ये असर
कि हर बददुआ हुई है बेअसर।
माँ संयम की पराकाष्ठा है
इस जीवन की अधिष्ठाता है,
माँ की त्याग के समक्ष स्वयं
नतमस्तक वह विधाता है।