माँ
माँ
तुमको क्या याद दिलाऊँ माँ
कैसे बन बेटा तुझे बनाया माँ
मेरे पहले क्रंदन पर,खूब मुस्कुराई थी
मेरे में अपना विस्तार देख इठलाई थी
तुम क्या जानो मेरा मन क्यों रोया था
तेरे अंदर बन निर्भय निश्चिंत सोया था
बाहर की दुनिया बहुत निष्ठुर है
कोमल भावना के प्रति क्रूर है
तूने लहू को दूध बना पिलाया था
खाली पेट मीठी लोरी सुनाया था
तूने ही पिता से पहचान कराया था
उनकी उंगली पकड़ा चलवाया था
पिता के कन्धे पर बैठ दुनिया देख लिया
दुनियादारी के कठिन दांवपेच देख लिया
कैसी रही तेरी अतरंगी सतरंगी जीवन यात्रा
बाबुल की लाडो से खूसट बुढ़िया की यात्रा
डर लगता है तेरे इस धरा धाम में
कुटिलता का सहारा हर काम में
फिर समा ले निज काया धाम में
छुपाती थी जैसे आँचल की छाँव में
रख शीश विनती करता तेरे पाँव में
संभव नहीं शायद ,फिर तेरे अंदर छुप जाऊँ
बनो बूढ़ी बिटिया तुम मैं तेरा बाबुल बन जाऊँ ।।