माँ शैलपुत्री!
माँ शैलपुत्री!
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माँ तेरे स्वागत में
द्वार पर बंदनवार लगायी है
पूजा की चौकी
मन-रंगों से सजायी है।
कलश सजा कर
उस पर रखा है
धूप-दीप जला कर
पूजा का थाल सजाया है।
जो तुझको भाता रंग
वो लाल पुष्प चढ़ाया है
माँ शैलपुत्री तेरे स्वागत में
भावों का हार चढ़ाया है।
मैं अज्ञानी हूँ ऐसी
पूजा विधि भी न जानूँ
बस हाथ जोड़ तेरे सम्मुख
बंद नयन किये मौन हूँ।
तू मन की समझ लेती सब
सबने यह बात बतायी है
आओ माँ ! स्वागत है
घर-घर मंदिर-मंदिर में
जगराते की बेला आयी।
