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संदीप सिंधवाल

Others

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संदीप सिंधवाल

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मां सबसे बाद में खाना खाती थी

मां सबसे बाद में खाना खाती थी

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खाने में प्यार के साथ साथ और

जाने क्या क्या रस मिलाती थी मां।


अन्नपूर्णा सी देगची थी तो छोटी

पूरा परिवार का पेट पालती थी मां।


हम सब बड़े चाव से खाना खाते

और चाव से हमें खिलाती थी मां।


मां को सबकी जरूरत भी पता थी

जाने फिर कैसे समन्वय बनाती थी मां।


खुद क्या खाया कब खाया पता नहीं

अपनी भूख कभी नहीं बताती थी मां।


बचा खुचा खाने की ही आदि थी मां

सबके खाने के बाद ही खाती थी मां।


आज हर निवाले पे तेरी याद आती है मां

तूने कभी हमें रोने नहीं दिया ,

आज तेरी यादें बहुत बहुत रुलाती हैं मां।



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