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Rajit ram Ranjan

Children Stories Others

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Rajit ram Ranjan

Children Stories Others

माँ को सलाम.....!

माँ को सलाम.....!

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मैने एक जमाना बदलते 

देखा हैं, 

खुद को गिरते - संभलते 

देखा हैं, 

माई कि बिंदिया को पसीने से 

भीगकर गिरते देखा हैं, 

तपती दोपहरिया में 

भैंस, गाय, बकरी को चारा 

खिलाते देखा हैं!


सिर्फ बच्चे कि ख़ुशी के लिये 

अपने हर सपने कुर्बान करे जो, 

उस माँ को सलाम करें हम, 

कंधे पर लटकाये बेटे को, 

चढ़ती दोपहरिया में काम करें वो, 

लाल को गर दुख हो जाये, 

ढ़क आँचल से विश्राम करें जो।


इस आधुनिक (Modern) ज़माने में 

मैंने माँ को भी बदलते देखा हैं, 

बच्चों कि कोई फ़िक्र नहीं खुद लाली, बिंदिया, 

काजल, मेकअप करके आँखे-दो-चार करें, 

सहेलीयों से कहती फिरे 

चलो कहीं नैना-चार करें, 

गर माँ ऐसे ही, बदल गई तो तबाही होना 

पक्का हैं, 

आने वाला फ्यूचर (future) अँधेरे में दबा रह जायेगा!


अब वो पहले के जैसा माँ कि आँखों में 

चमक दिखती नहीं, 

ये पोलुशन (Polution) पापुलेशन (Population) है या रेडिएशन (Rediation), 

या लोगों के मानसिक विकारों का कोई नया रूप!


पहले माँ बच्चे कि 

देखभाल घर पर ही करती थी, 

वो भी एकदम ख़ुशी-ख़ुशी, 

अब तो बच्चा जहा चलना सिखा भी नहीं है ढंग से वही बोर्डिंग क्लास भेज दिया जाता हैं, 

बच्चे माँ - बाप के साथ भी पढ़कर 

अच्छे बन सकते हैं!

औऱ वहा बच्चा चिड़चिड़ा, अवसाद से भर जाता हैं, 


बच्चा खुदको लोगों से अलग 

समझने लगता हैं, 

धीरे - धीरे, 

वक़्त बदलता हैं, 

बच्चे को वही सब सच समझ में 

आने लगता हैं...


बच्चा हैं, बच्चे से प्यार करो, दुलार करो 

वो शरारत तो करेगा ही, खुद बच्चे बन जाओ, 

हर बच्चे कि माँ उसके लिये एक बच्चा बना जाती हैं, 

इसीलिए हर बच्चे को अपनी माँ सबसे ज्यादा पसंद होती हैं!


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