माँ के पर
माँ के पर
माँ तूने अपने पर काट मुझे दे दिये,
और तू उड़ना भूल गई,
पर मुझे आसमान मेंं उड़ना सिखा दिया।
तेरे हौसलों ने मेरे हौसलों को परवाज़ चढा़ दिया।
माँ,तूने इस जीवन भँवर में तैर कर निकलना सिखा दिया।
इस समाज की छोटी-बड़ी दिवारों को गिरा
आगे बढ़ना सिखा दिया ।
मेरे कोमल मन को इंसा की परख करना सिखा दिया।
मेरे हृदय को इतना विशाल बना दिया
कि हर प्रतिक्रिया को उस में समाना सिखा दिया ।
माँ तूने मुझे मुझ से मिला दिया
मेरे गुणों को ऐसा तराशा कि चमकता सितारा
बना दिया।
मुझे गर्व से मंदिर-मस्जिद मेंं सर झुकाना सिखा दिया।
तूने जल, थल,वायु हर जगह शान से विचरना
सिखा दिया।
माँ तूने मुझे सर्व गुण सम्पन्न बना दिया ।
इस दुनिया मेंं सर उठा कर चलना सिखा दिया।
माँ अब मेरे अपने पर उग आये
तो तू अपने पर लगा उड़ जा उड़ जा।
