Rashmi Lata Mishra
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माँ बनकर शायद हो जाता है
मन माँ का डरपोक,
संतान को लेकर बढ़ जाती
उसके मन मे सोच।
डरने लगता अहित न हो
न हो संतान दुराचारी
चिंता रहती भविष्य की और
सही निभे जिम्मेवारी।
डर कुछ यूं ही पहला था मन में
भेजा दूर था उसको पढ़ने
भटके न संस्कारों से अपने।
मौसम,गजल
गजल
पवित्र प्रेम
फागुन
वसंत आ गया
वासन्ती चादर
छुपता-छुपाता
धड़कन दिल की
बसंत देखो आ ग...