माँ इतना प्यार कहाँ से लाती
माँ इतना प्यार कहाँ से लाती
पूछा करती थी मैं माँ से
इतना प्रेम कहाँ से लातीं
क्यों जागा करती रात-रात भर
क्यों चिंता में घुली हो जाती
हँसकर बोला था माँ ने भी
माँ का दिल न समझ पाओगी
जब तुम माँ बन जाओगी
खुद को मेरे जैसी ही पाओगी
समझ नहीं पाती यह गूढ़ रहस्य
माँ बनकर, क्या ऐसा हो जाएगा?
जो मेरा दिन रात का चैन ही खो जाएगा
आज समझ में आती है
वह सारी बातें माँ की
क्यों जागा करती रातों में
क्यों चिंता में घुली वो जाती
उनकी रोक-टोक पर,
आता था तब गुस्सा मुझको
अब खुद गुजरती उन सब से
तो समझ में सब आता है मुझको
गुस्से में भी प्यार छुपा था
रोक-टोक में चिंता भारी
जो सब, तब न समझ पाती
अब बीत रही है मुझ पर सारी
माँ बनकर ही मैंने जाना
क्यों देवताओं ने भी,
माँ की महिमा को है माना
आज खड़ी हूँ उसी जगह पर
जहाँ मुझसे पूछा करती मेरी बेटी
माँ क्यों जागा करती रात-रात भर
क्यों चिंता में घुली हो जाती।।