मां भारती !
मां भारती !
हिन्दी की अतुलित सम्पद से ,
पूजित हों मां भारती
मां भारती,मां भारती ,मां भारती।।
मां सरस्वती के आँगन में ,
हिन्दी की हम करें आरती।
कोटि कंठ के तुमुल नाद से ,
गर्वित हों मां भारती।।
हिन्दी की अतुलित सम्पद से ....
भू मंडल में सहज सुभाषित ,
भाषा हिंदी बनी है अमृत।
कितनी भी बाधाएं आयें ,
तनिक न होना हमको विचलित।।
हिन्दी की अतुलित सम्पद से ....
जब स्वराज्य की उठी थी आंधी ,
बोध की भाषा बनी थी हिन्दी।
हिन्दी ने ही ताक़त बांधी ,
सफल हुए थे महात्मा गांधी।।
हिन्दी विश्व धरा पर फहरे ,
पूजित हों मां भारती।।
हिन्दी की अतुलित सम्पद से ....
हिन्दी तो जन मन की भाषा ,
दूर करे चहुओर निराशा।
गढ़ेगी यह अद्भुत परिभाषा ,
पूरी होगी हर अभिलाषा।।
विश्व पटल पर हिन्दी छाकर ,
पूजित हों मां भारती।
हिन्दी की अतुलित सम्पद से ......