मां भारती करे तेरी आरती
मां भारती करे तेरी आरती
हे मां भारती
तुम्हारी रग-रग में अमृतधारा है बहती।
कोटि-कोटि कर तुम्हें प्रणाम,
करनी है तेरी आरती।
गुंजित है गीता और वेद,
कण कण हे मंत्रों की शक्ति,
जहां सत्य अहिंसा और धर्म
ही करना है लोगों की भक्ति।
ऋषि-मुनियों की तपोभूमि,
वीरों की बनी कर्म भूमि।
चमकती यहां वीरों की तलवार,
संस्कृति से पूर्ण पावन तुम्हारा आकार।
यहां सुशोभित मीरा के भजन,
हर डाली पर स्वर्ण चिड़िया करें गुंजन।
वीरों की यह भूमि गौरव को पुकारती,
हे मां भारती करनी है तेरी आरती।
