माँ और अबोर्शन
माँ और अबोर्शन
उसे उल्टी थी आई और
रौनक घर में पसर गई
वो पेट से थी पर खुशी
इतनी कि जैसे माँ वो
आज ही बन गई,
कल सासु माँ ने उसे
अपना ऐब दिखाया था
पर आज वो खुद उसके
लिए खाने की थाली थी लाई।
खुश नुमा घर का माहौल था,
खुशी सभी के चेहरे पर थी
हो भी क्यों न! इंतजार कब से
नये मेहमान की थी,
पर ख़्वाहिश सबको बेटे की थी
और अस्पताल भी नज़दीक में थी।
पर माँ तो माँ होती है और
वो फर्क नहीं करती
हर औलाद उसके लिए
रब का तोहफ़ा होता है,
इसलिए नम आँखों से
उसने सबसे पूछ लिया
अगर बेटी निकली जांच में
तो क्या अबोर्शन है जरूरी?
