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Jalpa lalani

Others

5.0  

Jalpa lalani

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माँ अनमोल है

माँ अनमोल है

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कहते हैं हर एक के जीवन मे कोई न कोई प्रेरणा बन के आता है,

पिता, माँ, भाई , बहन, दोस्त, सेलेब्रिटी, या फ़िर कोई अजनबी,

वैसे ही मेरे जीवन मे मेरी प्रेरणा बनी मेरी माँ।


बचपन से देखती आ रही हूं तब समझ थोड़ी कम थी,

आज समझ मे आया माँ के अंदर कितनी ख़ासियत थी।


माँ की दिनचर्या सुबह के पहले पहर से शुरू हो जाती

सर्दी हो या गर्मी पहले घर का आँगन साफ़ करती।


नहाकर प्रभु का ध्यान धरती, घर में भी साड़ी पहनती

उनकी वो बिंदी वो चूड़िया आँखों का वो सूरमा

हमारे उठने तक तो चाय-नाश्ता भी बन जाता।


मेरे भी थे अरमान माँ के जैसे पहनावा मैं भी पहनूँगी

बड़ी होकर क़ुछ अवसर पर भी बड़ी जहमत से सब संभाल पाती।


कैसे कर लेती थी माँ ये सब पहनकर भी घर का सारा काम

सबकी जरूरते पहेले पूरी करती अपना ख़ुद का कहा था उसको ध्यान।


एक तो घर का काम, फ़िर बाहर पानी भरने जाना

क्या इतना कम था कि मंदिर में भी करती थी समाज सेवा।


कहाँ से मिलता था इतना समय?

आज सब सुख-सुविधा के बावजूद भी हम, कहते हैं समय कहां है हमारे पास?


हमें पढ़ना, लिखाना, तैयार करके पाठशाला भेजती,

सब की पसंद का खाना बनाती,

जितना लिखूं उतना कम पड़ जाये

शायद माँ पर लिखने के लिये ,

दुनिया के सारे कागज़ भी कम पड़ जायें।


खाना पकाना सिखाती, तमीज़ से बात करना सिखाती,

घर के सारे काम से लेकर बाहर की दुनिया का ज्ञान भी देती।


रात को बिना भूले दूध देती कभी मना करे तो डांट कर भी पिलाती

पूरे दिन का हाल बतियाती, बड़े प्यार से साथ में सुलाती।


सब के सोने के बाद आख़िर में वो सोती

सर्दी में आधी रात को अपना कम्बल भी हम बच्चों को ओढ़ाती।


फ़िर भी सुबह सबसे पहले उठ जाती, आज तक नहीं पूछा

आज पूछती हूँ, ऐ माँ! क्या तुम थक नहीं जाती?

बताओ ना माँ क्या तुम थक नहीं जाती?


हमें साफ़ सुथरा रखना, खाना खिलाना, दूध देना,

पढ़ाना, हमारे साथ खेलना नित्य क्रम था उनका

पता नहीं क्या बरक़त है उनके हाथों में

थोड़े में भी कितना चलाती

फ़िर भी कभी पेट रहा ना हमारा खाली।


इतनी उम्र में भी आज है वो चुस्त-दुरुस्त आज भी वो कितना काम कर लेती,

फ़िर भी टी. वी. पर अपनी पसंदीदा सीरियल छूटने नही देती।


मुझे केहती है तू अकेली कितना काम करेगी

इतनी छोटी उम्र में भी माँ जितना मैं नहीं कर पाती।


माँ का कोई मोल नहीं, माँ तो अनमोल है,

आज मैं जो भी हुँ, जो भी मुझे है आता,

मेरी माँ के दिये संस्कार है।


सब कहते हैं मैं माँ की परछाई हूं

पर माँ मैं तेरे तोले कभी ना आ पाऊँगी,

मेरी माँ मेरी प्रेरणा है, मेरी माँ मेरे लिये भगवान है।


बस इतना ही कहना चाहूँगी

अब अपने आँसुओं को रोक ना पाऊँगी,

इसके आगे अब लिख ना पाऊँगी

इसके आगे अब लिख ना पाऊँगी।



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