माँ अब तुम धरती पर आओ!!

माँ अब तुम धरती पर आओ!!

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जय काली काली!!

जय काली काली!!


माँ तेरे रहते इस धरती में,

क्यों पाप जीतता , क्यों सत्य हारता,

प्रेम दया करुणा आशाएं

इन पर सिमटी घोर घटाएं।


काम क्रोध विद्वेष छलाछल,

बढ़ रहा असुरों का संबल,

कब तक माँ विश्राम करोगी,

कब इनका संहार करोगी?


जागेगी कब शक्ति फिर से,

पाएगी फ़ल भक्ति फिर से,

जय काली काली!!

जय काली काली!!


अब माँ फ़िर से अस्त्र उठाओ,

रौद्र रूप माँ पुनः बनाओ,

पुनः गले नर-मुंड की माला,

चक्र कटार और सिंह की छाला।


जिह्वा फिर से रक्त नहाए,

ऐसा चंडी रूप सजाओ।

जय काली काली!!

जय काली काली!!


घटा भयानक केशों जैसे,

नेत्र खोल दो तीसरा ऐसे,

अम्बर डोले धरती काँपे,

त्राहिमाम सब करते भागें।


चरणों से फ़िर प्रलय मचा दो,

माँ ऐसा अब रूप सजा दो।

जय काली काली!!

जय काली काली!!


फ़िर से तांडव करती आओ,

नभ में बदली बन कहा जाओ,

असुरों की फ़िर बलि चढ़ाकर,

दानव दल और प्रेत निशाचर।


तुम सबका संहार करो माँ,

रक्त क्षुदा को शांत कराओ,

जय काली काली!!

जय काली काली!!


शिव की शक्ति तुम्हीं भवानी,

बात देव ऋषियों ने मानी,

तेरे रहते तेरे बालक ,

क्यों दुख सहते मां प्रतिपालक।


माँ जग से अन्याय मिटा दो,

न्याय की माँ तलवार चला दो,

जय काली काली!!

जय काली काली!!


भक्तों के दुःख हर लो मैया,

शीतल फ़िर से कर दो छैया,

अम्बर तुमसे ही उज्जवल है,

और तुम्हारा यह जल-थल है।


अम्बर का अंधियारा हर लो,

धरती में उजियाला कर दो।

जय काली काली!!

जय काली काली!!


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