माद्र ए वतन
माद्र ए वतन
ऐ मेरे माद्र -ए -वतन, तेरी मिट्टी की कसम मुझे तुझसे बेइंतहा प्यार है,
तेरे गोद में खेलना, तेरे खेतों में दौड़ना, तेरी मिट्टी को चूमना, हाँ, मुझे तुझसे बेइंतहा लगाव है।
हिंदुस्तान, भारत, इंडिया, अल -हिन्द तेरे अनेको नाम है, पर तेरी पहचान बेमिसाल है
ना जाने तेरे कितने रंग है, पर मुझे तेरे हर रंग से प्यार है, तेरी मिट्टी ही तो मेरा लिबास है।
तेरी आबो हवा की खुशबू, ये खिलखिलाती नदियाँ, सफ़ेद ताज़, त्याोंहारों की रौनकें,
तरह -तरह के पकवान, तेरे हर हिस्से से मुझे प्यार है।
जात -पात, रंग -रूप, धर्म -नस्ल.... अमन ही तेरा पैगाम है,
तेरी आबादी, तेरा संघर्ष, तेरा कभी -कभी लडख़ड़ाना,
लेकिन तेरा इतिहास ही तेरी पहचान है।
ऐ मेरे माद्र ए वतन तेरी मिट्टी से लगाव है.।