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Mr. Akabar Pinjari

Others

5.0  

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(लोक व्यवहार) नेग रिवाज

(लोक व्यवहार) नेग रिवाज

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यहां हर कोई रस्मों के बंधन में बंधा है,

मासूमियत मायूस होती जा रही है,

और हैवानियत शोर मचा रही है,

लोक व्यवहार न जाने कहां खो गया?

नेग अब झूठा रिवाज हो गया।


अब ज़रूरत पर ध्यान कहां कौन

देता है,

एक कपड़े जोड़ा देकर हज़ार फोटो

लेता है,

मददगार कम और यादगार ज़्यादा

लगता है,

लोक व्यवहार न जाने कहां खो गया?

नेग अब झूठा रिवाज हो गया।


रिश्तों को रिश्तों से जोड़ने का चलन

बंद हो गया,

समय के साथ नेग का वजन भी कम

हो गया,

किसी को कुछ देना भी अब दिखावटी

हो गया,

लोक व्यवहार न जाने कहां खो गया?

नेग अब झूठा रिवाज हो गया।


चंद सिक्कों में बटोरता था कोई खुशी

का जहां,

इस फ़रेबी दुनिया ने लूटा उसका भी

निशां,

नहीं अब रिवाज नहीं कारोबार हो गया,

लोक व्यवहार न जाने कहां खो गया?

नेग अब झूठा रिवाज हो गया।



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