लोग क्या कहेंगे
लोग क्या कहेंगे
जिंदगी बीत जायेगी यही सोचते
कि लोग क्या कहेंगे,
उनका क्या, माँस है सबका नोचते
कि और क्या करेंगे?
टूटते घर को तो किसी के भला
क्या खाक ये जोड़ेंगे,
जीते जी तो छोड़ो दो भैया
मर के भी पीछा ये लोग न छोड़ेंगे।
इन्हें क्या, किसी की मजबूरी लाचारी से
ये तो टूटी कमर को जमकर तोड़ेंगे,
भले ही कोई दबा हो कर्ज के बोझ तले
ये सामाजिक रीतों से उसका नाता जोड़ेंगे।
कितना ही अच्छा काम तुम कर लो
ये तो बस हौसला ही तोड़ेंगे,
तुम कितना भी गाड़ी को पटरी पे लो
ये तो उसे नीचे को ही मोड़ेंगे।
क्या सुनना भाई फिर ऐसे लोगों को
ये क्या रुख हवा का मोड़ेंगे,
बहने दो अंदर के तूफान को तुम अपने
जज्बे को तुम्हारे भाई क्या ये तोड़ेंगे।