लोग खुद को बहला गए...
लोग खुद को बहला गए...
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सूरज जो छिपा, सब होश में आ गए,
दिन भर उड़ते परिंदे, अपने घोंसलों में आ गए।
कहानियां बनकर कुछ लोग खुद को बहला गए,
कुछ लोगों कि निगाहों में तो
कुछ सुर्खियों में आ गए।
रुसवाई मिली किसी को तो
कुछ समझदार बन गए,
कुछ को कश्तियाँ डूब गई,
तो कुछ मझधार बन गए ।
लोगों के मरने से श्मशान बन गए,
कुछ बने मुरदे तो कुछ तो इंसान बन गए ॥
