ललक
ललक
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सृष्टा सृजनशील का
अद्भुत यह संसार।
जीवन जीने की ललक में
भटके सारा संसार।।
सृष्टा की रचना से करके
मानव ने खिलवाड़।
अपनी राहों में बिछा लिए हैं
कांटों के झंकाड़।।
भौतिकता की दौड़ में देखो
प्रकृति का किया विनाश।
नित नई आपदाएं खड़ी हैं
आज मनुष्य के द्वार।।
सृष्टा सृजनशील का
अद्भुत यह संसार ।
