लखनऊ घूमन गए हम
लखनऊ घूमन गए हम
हम गए लखनऊ घूमन कौ,
चस्का हमारे मन मैं कछु ऐसो चढ़ि गओ।
पहिली-पहिला दफा हमने देखो सहरु,
सो कहूॅ॑-कहूॅ॑ गड़बड़ु हुइ गओ ।
हम पहुॅ॑चि अमीनाबाद गये,
जहॉ॑ कपड़ा वारी दुकान हती।
हुॅ॑आं माटी की सुंदर मेहरुआ एक,
तौ दुआरे पै वा ठांड़ी हती।
हम समुझे जा दुकान की मलिकिन हैगी,
सो भाउ-ताउ पूछन लगे।
जब पता चलो कि जह तौ मूर्ती हैगी,
तौ हम कही बहुतु गड़बड़ु हुइ गओ।
हम गए लखनऊ घूमन कौ,
चस्का हमारे मन मैं कछु ऐसो चढ़ि...
घुसि गये दुकान के भीतर हम,
पाउडर सफेद लगाए भए ठांड़ी
हती एक मेहरुआ।
हम समुझे जहो हुइहै मूर्ति माटी की,
तौ बाकी साड़ी कौ भैया हमने जौ नेकु छुओ।
वह तौ बहुतु जोर चिल्लाइ परी ,
तौ हम कही बहुतु गड़बड़ु हुइ गओ।
हम गए लखनऊ घूमन कौ ,
चस्का हमारे मन मैं कछु ऐसो चढ़ि....
हम तनिकु औरु अंदर कौ घुसे,
तहमदु पहिने चदरिया ओढ़े।
एकु बाबूजी हुॅ॑आं हते ठांड़े,
हम समुझे कोई बैअरबानी हैगी।
हम बोले बहिन जी राम-राम,
वौ बोलो चुपकर डैमफूल।
सुनि बाकी बड़ी डांट सुनउ भैया ,
हम कही बहुतु गड़बड़ु हुइ गओ।
हम गए लखनऊ घूमन कौ ,
चस्का हमारे मन मैं कछु ऐसो चढ़ि...
बहिरारि निकरि के आगे गये,
घूमते -घामत भैया रहे बहुत देर।
जब आएइ हइं तौ कछु लए चलैं,
एक पायल लई बीबी के लए।
बच्चन के लए लइ टी-सर्ट औरु पैण्ट,
घर पै बीबी ने डांटो बहुतु।
चॉ॑दी नांही स्टील हइ जह,
औरु जै कपड़ा तौ पुराने लइ आए।
जब डांट परी तौ फेरि सुनउ,
हम कही बहुतु गड़बड़ु हुइ गओ।
हम गए लखनऊ घूमन कौ,
चस्का हमारे मन मैं कछु ऐसो चढ़ि..
