यूँ ही बैठा, हथेली को ताक रहा था, लकीरें कम तो नहीं, ये आँक रहा था...! यूँ ही बैठा, हथेली को ताक रहा था, लकीरें कम तो नहीं, ये आँक रहा था...!
बस मेरे उस चांद सी ख्वाहिश हो तुम जो हो तुम, बस वहीं हो तुम। बस मेरे उस चांद सी ख्वाहिश हो तुम जो हो तुम, बस वहीं हो तुम।
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इस आबाद कस्बे में नहीं उस वीरान शहर के पास ही कहीं है। इस आबाद कस्बे में नहीं उस वीरान शहर के पास ही कहीं है।
होता है वो महसूस हर पल, हर लम्हा कहते हैं इसे प्यार। होता है वो महसूस हर पल, हर लम्हा कहते हैं इसे प्यार।