"लेखनी बनाम तस्वीर "
"लेखनी बनाम तस्वीर "
अक्सर शृंगारिक रचनाओं में, मैं कोई सुंदर सी तस्वीर लगा देता हूँ !
अपनी रचनाओं को मैं अपनी, कलम की स्याही से रंग भर देता हूँ !!
वैसे तो मैं किसी कविता को, कोई मूर्त रूप दिये अधूरा छोड़ता नहीं !
उसी के संदर्भ के प्रतिकूल की, तस्वीर कोई भूल के भी मैं जोड़ता नहीं !!
छाया छवि आकृति और दृश्य, की प्रस्तुति से ही लेखनी सँवर जाती है !
लोग पढ़ना चाहें या ना चाहें, तस्वीरें उनको आकर्षक बना जाती है !!
लोग पढ़ें या ना पढ़ें उनको, पर लाइक कमेन्ट की बरसात होती है !
पता नहीं चलता कि लोगों ने, लेखनी को सराहा या चर्चा तस्वीर की होती है ?
